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Monday, September 26, 2011

आग़ाज

वो दूर हैं हमसे
इन निगाहों से नहीं
देखा हैं उन्हे कभी
बादलो में कहीं
ये अहशाश
एक हवा का झोका हैं
जो दिल से होते
आखों से झलकता है
रातो को जागना
उन्ही की तस्वीर
हाथो में लिए
कभी तुझसे
कभी खुद से पूछते रहना
ख़फा हूँ
इन हाथ की लकीरों से
जिनमे तेरा नाम नहीं

2 comments:

  1. एक नयी शरुवात या एक नया सफ़र ........ बीतें हुए पल से
    आप सभी का धन्यवाद.

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  2. मुबारक हो.. पहली पोस्ट का अपना अलग मज़ा है.. पोस्ट बढती ही रहें इन्हीं दुआओं के साथ ..
    आपका
    शाहिद "अजनबी"

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