वो दूर हैं हमसे
इन निगाहों से नहीं
देखा हैं उन्हे कभी
बादलो में कहीं
ये अहशाश
एक हवा का झोका हैं
जो दिल से होते
आखों से झलकता है
रातो को जागना
उन्ही की तस्वीर
हाथो में लिए
कभी तुझसे
कभी खुद से पूछते रहना
ख़फा हूँ
इन हाथ की लकीरों से
जिनमे तेरा नाम नहीं
एक नयी शरुवात या एक नया सफ़र ........ बीतें हुए पल से
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद.
मुबारक हो.. पहली पोस्ट का अपना अलग मज़ा है.. पोस्ट बढती ही रहें इन्हीं दुआओं के साथ ..
ReplyDeleteआपका
शाहिद "अजनबी"